AAJ KA सुविचार (SUVICHAR) IN HINDI LANGUAGE

 

आलस्य में दरिद्रता का वास है, और
जो आलस्य नहीं करता है उसके
परिश्रम में लक्ष्मी बसती हैं।
-तिरुवल्लुवर
किसी भी काम को खूबसूरती
से करने के लिए मनुष्य को
उसे स्वयं करना चाहिए।

-नेपोलियन
शुरू में वह कीजिए जो आवश्यक है,
फिर वह जो संभव है और अचानक
आप पाएंगे कि आप तो वह कर रहे हैं
जो असंभव की श्रेणी में आता है।

-संत फ्रांसिस
हर बात में धीरजरखें, विशेषकर
अपने आप से। अपनी कमियों
को लेकर धैर्य न खोएं अपितु
तुरंतउनका समाधान करना शुरू
करें, हर दिन कर्म की नई शुरुआत है।

- सेन्ट फ्रांसिस दे सेल्स
जीवन सौंदर्य से परिपूर्ण है। इसे देखें, महसूस करें, पूरी तरह से जीएं, अपने सपने पूरे करने के लिए पूरी कोशिश करें।

-एशले स्मिथ
ईश्वर और आत्मा क्च भगवान मूर्तियों में नहीं है आपकी अनुभूति आपका ईश्वर है, आत्मा आपका मंदिर है।
रोशनी फैलाने के दो तरीके हैं, या तो दीपक बन जाएं या उसे प्रतिबिम्बित करने वाला दर्पण।

एडिथ व्हॉर्टन
दूसरों को खुशी देने वाला ही खुशहाल होता है, अपने से जुड़े हर छोटे-बड़े को अपने व्यवहार से खुश करने की आदत डालो।

-फिरोज बख्त अहमद
 इतने भगवान और इतने धर्म और इतनी घुमावदार राहें। सिर्फ करुणा की कला की जरूरत है इस दुखी संसार को। //सुविचार//

- एल्ला व्हीलर विलकौक्स
महान कवि हों, इसके लिए यह ज्यादा जरूरी है कि आप अच्छे श्रोता भी हों।

- वाल्ट व्हिटमेन
हमारा लेखन ऐसा नहीं होना चाहिए कि पाठक हमें समझ पाए, बल्कि ऐसा होना चाहिए कि वह किसी भी तरह हमें गलत न समझ जाए।

- क्विन्टिलीयन
 जब तक हम दूसरों के बारे में नहीं सोचते और उनके लिए कुछ नहीं करते हैं तब तक खुशियों के सबसे बड़े स्रोत को गंवाते हैं।

-रे लाइमन विलबूर

अपने सामथ्र्य का पूर्ण विकास
न करना दुनिया में सबसे बड़ा अपराध हैं।
जब आप अपनी पूर्ण क्षमता के साथ कार्य
करते हैं, तब आप दूसरों की सहायता करते हैं।

-रोजर विलियम्स
मनुष्य सुबह से शाम तक काम
करके इतना नहीं थकता, जितना
क्रोध या चिन्ता से एक घंटे में
थक जाता है।

-जेम्स ऐलन
लगातार सफलता हमें संसार का
एक पक्ष दिखाती है। आपत्तियां उस
चित्र का दूसरा पक्ष भी बताती हैं।

-कोल्टन
नि:शस्त्र अहिंसा की शक्ति किसी भी परिस्थिति
में सशस्त्र शक्ति से सर्वश्रेष्ठ होगी।

-महात्मा गांधी
सफलता का कोई रहस्य नहीं है।यह
तैयारी, कड़ी मेहनत और असफलता
से सीखने का ही परिणाम होता है।

-कोलिन एल पावेल
अगर हम स्वयं ही अपना राज गुप्त
नहीं रख सकते तो किसी और से इसे
गुप्त रखने की अपेक्षा कैसे कर सकते हैं।

-फ्रांस्वां डे ला
जो मनुष्य अपनी विद्या और ज्ञान
को कार्य रूप में परिणित कर सकताहै,
वह दर्जनों कल्पना करने वालों से श्रेष्ठ है।

-इमर्सन
कल्पना के बाद उस पर अमल जरूर करना चाहिए।
सीढिय़ों को देखते रहना ही पर्याप्त नहीं है, उन पर
चढऩा भी जरूरी है।

- वैन्स हैवनेर

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